बुधवार, 14 अप्रैल 2010
चौदहवें बुन्देली-उत्सव बसारी में :भास्कर
बुंदेली-उत्सव के तीसरी संध्या पर बधइया एवं दलदल घोड़ी नृत्य ने मचाई धूम
भास्कर संवाददाता &छतरपुर (chhatarpur)21 अप्रैल 2010
बसारी में चल रहे चौदहवें बुन्देली-उत्सव की तीसरी संध्या पर बुंदेलखंड (bundelkhand) की विभिन्न लोक परंपराओं एवं लोक संस्कृति पर आधारित गायन एवं नृत्य आदि की प्रस्तुतियां हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विधायक ललिता यादव के द्वारा किया गया।
श्रीमती यादव ने कहा कि भौतिकवादी युग में हम अपने आपको भूल रहे हैं ऐसे समय में बुन्देली विकास संस्थान के बैनर तले बुंदेली परम्पराओं, मान्यताओं, रीति रिवाज, वेष भूषा, लोक कला, संस्कृति एवं धरोहर की रक्षा का प्रयास अतुलनीय है।आज लोगों को इन सब आयोजन के लिए न तो सोच है, न ही समय। परिणाम स्वरूप आदमी का जीवन नीरस होता जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे परशुराम शुक्ल ने कहा कि बुंदेली संस्कृति पर संकट के बादल है एवं बुंदेली भाषा विलुप्त हो रही है। बुंदेली परिस्थिति पर यह संकट खड़ी बोली नहीं बल्कि अंग्रेजियत के कारण है। आज प्रत्येक व्यक्ति अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में शिक्षा देना पसंद कर रहे है। जिसके कारण वे लोग अंग्रेजी व खड़ी बोली तो सीखते है, लेकिन बुंदेली नहीं। बुंदेली उत्सव २०१० राव बहादुर सिंह सम्मान डॉ. अवध किशोर जडिय़ा हरपालपुर तथा परशुराम शुक्ल विरही देवीपुरम शिवपुरी को दिया गया। डॉ. जडिय़ा ने बुंदेली भाषा में अनेक ग्रंथ लिखे हैं। वहीं डॉ. परशुराम शुक्ल ''विरहीÓÓ ने भी बुंदेली आलोचना के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उत्सव की तीसरी संध्या पर विभिन्न लोक परंपराओं एवं लोक संस्कृति पर आधारित गायन एवं नृत्य में कछियाई प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जय दुर्गा मंडल भावनीपुरवा एवं द्वितीय स्थान रंगी मंडल महोबा ने प्राप्त किया। कहरवा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हर्षित कला मंडल सागर तथा द्वितीय स्थान बजरंग मंडल बसारी ने प्राप्त किया। सोहर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान संध्या सरमन व सखियां उरई (जालौन) ने तथा द्वितीय स्थान गिरजाबाई सागर ने प्राप्त किया। इसी तरह ढिमरयाई प्रतियोगिता में प्रथम स्थान लीलाधर व साथी कर्रापुर सागर एवं द्वितीय स्थान सत्संग मंडल, परसौरिया दमोह ने प्राप्त किया। अहिरवारी बैठक में प्रथम स्थान कुन्नाई अहिरवार कर्री एवं दूसरा स्थान कालीचरण अहिरवार बुदारा ने प्राप्त किया।
दलदल घा़ेडी में प्रथम स्थान बजरंग मंडल बसारी एवं दूसरा स्थान गुरू अहिरवार व सार्थी कर्री ने प्राप्त किया। बरने प्रतियोगिता में प्रथम स्थान गिरजाबाई सागर एवं द्वितीय स्थान रमाबाई सागर रहीं।
इसके साथ कई अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में गोट में मूलचन्द्र पाल, बधइया नृत्य में नवरंग लोक कला मंडल सागर एवं सैर में भगवानदास सभापति छतरपुर (chhatarpur) सराहनीय रहीं।
sorce:भास्कर
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