बुंदेलखंड में दुर्लभ प्रजाति के रंग-बिरंगे पक्षी
एक समय था, जब इन परदेसी मेहमानों के किलोरियों के बीच लोग जल विहार का लुफ्त उठाया करते थे, लेकिन अब इनका गोश्त खाने के शौकीन शिकारी अधिकारियों की रहस्यमय चुप्पी के बीच दिन-रात इनका शिकार करते हैं। हर साल अधिकारी महज चेतावनी जारी कर अपने कर्तव्य से विमुख जाते हैं।
परदेसी पक्षियों का सर्दी आशियाना बुंदेलखंड का रनगढ़ किला
उन्होंने बताया कि चूंकि रनगढ़ किला केन नदी के बीचोंबीच बना हुआ है, इसलिए शिकारी शाम से ही बंदूकों के साथ छिप जाते हैं और जैसे ही पक्षी किले के पास आते हैं, शिकारियों की बंदूकें गरज पड़ती हैं। रमेश की मानें तो रोजाना 10-20 परदेसी पक्षी मारे जा रहे हैं।
नदी-पोखरों और बांधों में रात बसनेर करने वाले प्रवासी पक्षी पेट भरने की गरज से तड़के धान कटे खेतों में झुंड बनाकर दाना चुनते हैं, वहां मेड़ और अरहर की घनी फसल की आड़ में शिकारी इनका शिकार कर रहे हैं। बांदा जिले के तेन्दुरा गांव के ग्रामीण चुन्नू ने बताया, "उनके डेरा से कुछ दूर के खेत में शुक्रवार तड़के पड़ोसी गांव के ग्राम प्रधान के पति ने अपने साथियों के साथ पांच पक्षियों का शिकार किया है, पुलिस में शिकायत करने पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।"
बांदा में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक स्वामी प्रसाद का कहना है, "इन पक्षियों के बसनेर करने वाले नदी-तालाबों में पुलिस गश्त बढ़ाई जा रही है, साथ ही शिकारियों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई भी होगी।"
बुंदेलखंड में हर साल की तरह इन परदेसी मेहमानों का बड़े पैमाने पर शिकार एक बार फिर शुरू हो गया है और जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ रस्म अदायगी कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में यह कहना गलत न होगा कि परदेसी मेहमानों के लिए यह इलाका महफूज नहीं रहा।
Sorce:बांदा से रामलाल जयन की रिपोर्ट
Published by: Vineet Verma
Published on: Sat, 23 Nov 2013 at 05:31 IST
Published on: Sat, 23 Nov 2013 at 05:31 IST
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