नई दिल्ली : गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने की योजना को जन आंदोलन का रूप देने की पहल करते हुए सरकार सोमवार यानी सात जुलाई को ‘गंगा मंथन’ कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इस कार्यक्रम में पर्यावरणविद, वैज्ञानिक, धर्मगुरु, साधुसंत, सांसद एवं जन प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकार (एनजीआरबीए) कार्यक्रम का हिस्सा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जल संसाधन एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए ‘गंगा मंथन’ कार्यक्रम नई दिल्ली में सात जुलाई को आयोजित किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री उमा भारती का भी कहना है कि गंगा को अवरिल एवं निर्मल बनाने का विषय ऐसा है जो बिना जन आंदोलन के पूरा ही नहीं हो सकता। मंत्रालय ने पूरे देश के पर्यावरणविदों, जल संसाधन के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, साधु संतो, वैज्ञानिकों के समूहों एवं अन्य शिक्षाविदों को ‘गंगा मंथन’ कार्यक्रम में एकत्र करने का निश्चय किया है और यह सत्र सात जुलाई को आयोजित किया जा रहा है। गंगा मंथन में विभिन्न पक्षों से गंगा एवं अन्य नदियों की साफ सफाई और इसके तट पर बसे क्षेत्रों के विकास पर सुझाव मांगे जाएंगे। इसमें पर्यावरण एवं विकास के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर भी चर्चा होगी।
सचिवों के समूह के सुझावों, मंत्रियों के निष्कर्षों, जानकारों के सुझावों के आधार पर अविरल गंगा, निर्मल गंगा को जन आंदोलन का रूप दिया जायेगा। इस प्रयास में नदियों के तटों के सांसदों, स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। जल संसाधन मंत्रालय गंगा, यमुना एवं अन्य नदियों को निर्मल बनाने के संबंध में एक वेबसाइट तैयार कर रहा है जिस पर दुनिया के विशेषज्ञों से राय देने का आग्रह किया जाएगा। वेबसाइट के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि अभी इस पर काम प्रारंभिक अवस्था में है।
गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए सचिवों के समूह को विभिन्न आयामों पर अध्ययन की जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट पेश करना है। इस विषय पर कुछ समय पहले जल संसाधन विकास, परिवहन एवं जहाजरानी, पर्यटन और वन एवं पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में हुई विस्तृत चर्चा में यह निर्णय किया गया था। उमा ने कहा था कि ‘गंगा हमारी प्राथमिकता है जिसे हम आदर्श के रूप में पेश करना चाहते हैं। इस बारे में तय मापदंड अन्य नदियों पर भी लागू होंगे।’ सचिवों के समूह की रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट नोट तैयार किया जाएगा।
गंगा निर्मलीकरण योजना के तहत वाराणसी से हुबली तक अंतरदेशी जल मार्ग बनाया जाएगा जिसके लिए 45 मीटर तक तलहटी से गाद की सफाई की जायेगी। इसके साथ ही गंगा के तट पर तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिए लाइट एंड साउड कार्यक्रम तथा इन स्थानों पर संग्रहालय स्थापित किए जाएंगे।
गौरतलब है कि इस पहल के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय गंगा एवं अन्य नदियों की स्वच्छता के बारे में अध्ययन के लिए शोध संस्थान भी स्थापित करेगा। इसके अलावा बराजों को सुदृढ़ बनाने का काम भी किया जाएगा। कानपुर, इलाहाबाद में प्रदूषित पानी गंगा में छोड़े जाने की बजाए इन्हें उद्योगों को फिर से इस्तेमाल के लिए दिया जाएगा। इसके तहत योजनाबद्ध तरीके से न केवल गंगा की सफाई होगी बल्कि इसके तटों को विकास, तीर्थाटन और आर्थिक विकास के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। ( एजेंसी इनपुट के साथ)
मथुरा : केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सफाई मंत्री उमा भारती ने कहा है कि यमुना को शुद्ध किए बिना गंगा सफाई का अभियान सफल नहीं हो सकता। इसलिए भले ही इस अभियान को गंगा मिशन का नाम दिया गया लेकिन यमुना को भी इस अभियान में शामिल किया जाएगा।
वृन्दावन में ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन करने आईं केन्द्रीय मंत्री ने कल कहा कि यमुना, गंगा की बड़ी बहन समान हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने दोनों नदियों की सफाई की योजना बनाई है। इस अभियान को वैसे तो मिशन गंगा नाम दिया है लेकिन साथ में यमुना पर भी काम होगा। दोनों नदियों की सफाई से ही देश खुशहाल होगा।
उमा ने वृन्दावन में यमुना किनारे स्थित संत विजय कौशल महाराज के आश्रम में संवाददाताओं से कहा कि गंगा-यमुना शुद्धिकरण को लेकर सात जुलाई को दिल्ली में गंगा मंथन सम्मेलन बुलाया गया है।
इसमें पर्यावरणप्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता, नदी-जल परियोजना विशेषज्ञ, कानूनविद्, एवं सभी संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। मंथन में जो सुझाव आएगा उस पर परियोजना बनाकर कार्य किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि देश की जीवनदायिनी नदियों को स्वच्छ करना हर देशवासी का धर्म है। इसलिए सरकार की इस मुहिम में आम आदमी को भी अपना अमूल्य सहयोग देना चाहिए क्योंकि समाज के सहयोग के बिना कोई भी सरकार इस प्रकार के अभियान में सफल नहीं हो सकती।
Sorce:भाषा
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जवाब देंहटाएंकेन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती के कर कमलों से दिल्ली में हरदयाल कुशवाहा और बुन्देली साहित्य कला आकादमी हुए सम्मानित दिल्ली ।
जवाब देंहटाएं2014.07.01 ( नई दिल्ली) बुंदेलखण्ड विकास परिषद् द्वारा दिल्ली में गत दिवस सभागार आजाद भवन , आई टी ओ, नई दिल्ली में विशाल बुन्देलखण्ड विकास सम्मेलन और वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई बलिदान स्मृति का आयोजन किया गया बुंदेलखण्ड विकास परिषद् दिल्ली -एवं भारतीय सांस्कृातिक संबंध परिषद् भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित बुन्देलखण्ड विकास सम्मेलन , सम्मान समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत बुन्देलखण्ड के चिकित्सक, साहित्यकार, कवि, पत्रकार, समाजसेवी, शिक्षाविद विभूतिओं का सम्मान किया गया। इसमें बुन्देली साहित्य कला आकादमी और आकादमी के अध्यक्ष हरदयाल कुशवाहा को बुन्देलखण्ड के संगठात्मक विकास के लिए महारानी लक्ष्मीबाई वीरांगना सम्मान हजारों जन समूदाय के बीच दिल्ली में सम्मान किया गया जिसमें एक शील्ड एवं शाल से सम्मान हुआ। इस सम्मान समारोह में आर्चाय प्रवर स्वामी ए.एस. विज्ञानार्चाय को आधात्म के क्षेत्र में , डा.सोमित्र रावत सर्जन, डा. विनोद रावत बरिष्ठ चिकित्सक,हड्डी रोग विषेषज्ञ, कर्नल डा. विपिन चतुर्वेदी, डा. भरत सिंह को चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षाविद्, श्री विवक मिश्रा कहानीकार, श्री विवके गौतम कवि साहित्यकार, साहित्य और कोमोडोर श्री विजय शंकर ववेले रक्षा के क्षेत्र में सम्मानित किया गया । बुन्देली साहित्य कला आकादमी को दिल्ली में बुन्देलखण्ड के संगठात्मक विकास के लिए हरदयाल कुशवाहा को सम्मानित किया गया इस सम्मान समारोह की मुख्य अतिथि सुश्री उमा भारती केन्द्रीय जय संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री, सान्निध श्री प्रदीप जैन (आदित्य) पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, ड्र. एस.सी. एल. गुप्ता पूर्व विधायक शशी सोम विधायक उत्तरप्रदेश के अतिरिक्त श्री जय किशन दास राष्ट्रीय अध्यक्ष यमुना रक्षक दल ,श्री राजशेखर व्यास, उप महानिर्देशक दूरदर्शन, डा0 पी.के. अग्रवाल पूर्व आई.ए.एस. श्री अनिल बरेजा सोलर ऊर्जा एक्स्पर्ट ,राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक रिछारिया, कार्यकारी अध्यक्ष श्री प्रदीप जैन,महामंत्री श्री अवधेश,विराग गुप्ता कार्यक्रम के संयोजक आदिश जैन और श्री हरदयाल कुशवाहा, सहयोगी श्री गोविन्द प्रसाद अरजरिया, विनय खरे, विनोद पण्डे,प्रदीप जैन विवेक सिंह संतोष गंगेले आदि मंच पर उपस्थित रहे मंच सञ्चालन कवि पंडित सुरेश नीरव राष्ट्रीय अध्यक्ष (सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति) ने किया
http://www.ufhnews.in/mathura-3008-a
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