बुन्देलखंड का हर निवासी बुन्देला है


बुन्देलखंड में महाराजा छत्रसाल की शासन सत्ता इस प्रकार थी :–


इस जमना उत नर्मदा,इस चम्बल उत टौंस ।

छत्रसाल सौं लरन की,रही न काहू हौंस ।।







गुरुवार, 28 नवंबर 2013

"भले पधारे जूँ "





इस जमना उत नर्मदा, इस चम्बल उत टौंस ।
छत्रसाल सौं लरन की, रही न काहू हौंस ।।

 

उमा भारती जी के मुताबिक बुंदेलखंड अरसे से उपेक्षित है और इस क्षेत्र पर सपा, कांग्रेस, बसपा पैकेज की राजनीति करती रही हैं। लोगों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति अलग राज्य के गठन से ही पूरी हो सकती हैं।

 इस क्षेत्र के लोग अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग लम्बे समय से करते आ रहे है. प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य में उ.प्र 






































































बुंदेलखंड एकीकृत परिषद  द्वारा प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य में कुछ जिले उत्तर प्रदेश के तथा कुछ मध्य प्रदेश के हैं,वर्तमान में बुंदेलखंड क्षेत्र की स्तिथि बहुत ही गंभीर है । यह क्षेत्र पर्याप्त आर्थिक संसाधनों से परिपूर्ण है किन्तु फिर भी यह अत्यंत पिछड़ा है । इसका मुख्य कारण है,राजनीतिक उदासीनता














चित्रकूट, औरछौ, कांलिजर, उन्नाव तीर्थ,!  
पन्ना, खजुराहो जहॅा कीर्ति झुकि झूठी है!!
जमुन,पहुज सिन्धु, बेतवा, धसान, केन!
मन्दाकिनी, पर्यास्वेनी, प्रेमपाय धूमी है!!
पंचम नृसिंह राव चंपतरा छत्रसाल,!
लाला हरदौल भाव-भाव चित चूमी है!!
अमर अनन्दनीय असुर निकन्दनीय!
वन्दनीय विश्व में बुन्देखण्ड भूमि है!!।



रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास, मुगल राजा अकबर से लोहान लेने वाली रानी दुर्गावती,  राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त,














अंग्रेज़ों को चुनौती देने वाली रानी लक्ष्मीबाई,

 हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद से

न जाने कितनी ऐतिहासिक शख़्सियतों ने बुंदेलखंड की धरती पर जन्म लिया

 


केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों का प्रतिनिधितित्व करने वाले कई वरिष्ठ नेतागण जब बुंदेलखंड आते हैं तो वहां की जनता के बीच में तो पृथक बुंदेलखंड राज्य की खुली वकालत करते है किंतु वापस आते ही इस मुद्दे को भूल जाते हैं। बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी का आरोप है कि गुमराह करने का ऐसा ही क्रम पिछले 50 सालों से चल रहा है । वर्ष 1955 में फजल अली की अध्यक्षता में गठित हुए राज्य पुनर्गठन आयोग की पुरजोर शिफारिश के बावजूद आज तक बुंदेलखंड राज्य का गठन सम्भव नही हो सका।



1 टिप्पणी: